नान्हा गीगा पालणै खिल-खिल उछळिया।

चूसै गूंठो चाव सूं मारै पग्गलिया॥

भावार्थ:- छोटे शिशु पालनों मे हँस-हँस कर उछल रहे हैं और चाव से अगूंठा चूसते हैं तथा पैर फटकारते है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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