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अंजस सोशल मीडिया
नदी साह हंसा संग नित
बांकीदास आशिया
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नदी
साह
हंसा
संग
नित,
हंस
नहीं
हूण
हेत।
अधम
न्हाय
विध
होय
अे,
देवी
ज्यानूं
देत॥
स्रोत
पोथी
: गंगालहरी
,
सिरजक
: बांकीदास आसिया
,
प्रकाशक
: राजस्थान राज्य प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.)