मिलै पतंगौ जोत मां, जोत सता मिल जाय।

सता मिलै परिव्रम सूं, परिव्रंम अगम पुजाय॥

स्रोत
  • पोथी : हरीजस-मोख्यारथी (सोढायण) ,
  • सिरजक : चिमनजी कविया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम