मेर रवाई मंडिआ, माट मही महिरांण।

करंणीगर महिरांणका, अब मंड सै मथांण॥

स्रोत
  • पोथी : जालंधर पुराण ,
  • सिरजक : हरदास मीसण ,
  • संपादक : अम्बादान रोहड़िया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : प्रथम
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