मान नहीं मनुहार नहीं, न हिवड़ा में हेत।
इसी जगह मत जावज्यो, रीज्यो सदा सचेत॥
राम नाम धन ऊजला, चमके चारो म्हेर।
कालो धन है कसायलो, घर में राखे बैर॥
जीतां तो ज्योया नहीं, मरयां पछे तूं रोय।
रे बड़भागी सूवटा, अब पछतायां के होय॥
मांथै धन की पोटली, ईं सूं सुख नी आवै।
सुख देवे संसार नै, सुख देवे सुख आवै॥
ले मां की आसीसड़ी और बाप को प्यार।
या सूं वंचित रहवस्यो, नहीं होसी उद्धार॥
भटक रह्यो दिन रेण तूं, कर मां को अपमान।
लोग नहीं आदर करे, न ही मिलेगो मान॥
धन कमायो मोकलो, और कमायो नाम।
माता की असीस बिना, होसी सब निसकाम॥