माता म्हारी मावड़ी, कठै गई किण ठौड़।

पल अेक नहीं पांतरूं, हुवै थारी हौड़॥

स्रोत
  • पोथी : मायड़ रौ मोह ,
  • सिरजक : प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : अखेराजोत प्रकाशन धुनियाड़ी नागौर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण