मास एक सूतक कहूं, रजस्वला दिन पांच।

जो इनको पालै नहीं, लगै धर्म की आंच॥

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार, भाग-1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय, मुकाम,तहसील-नोखा, जिला- बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम