मड्ड हुवा आयो मुगल, नाया ढलपति ढाल।

पड़ियो दिल्ली पीटणो, गो रण तोड़ै गाल॥

स्रोत
  • पोथी : मुहता नैणसीं री ख्यात, भाग 2 ,
  • संपादक : जिनविजय मुनि ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम