क्यूं कुरळायो कूकड़ा, गळती मांझल जोग।

विहंग थनेई वींटियो, बाघा तणो विजोग॥

स्रोत
  • पोथी : बाघा रा दुहा (चारण समाज के गौरव) ,
  • सिरजक : आशानंद बारहठ ,
  • संपादक : जगदीश रतनू 'दासौड़ी' ,
  • प्रकाशक : जगदीशराज सिंह 'डांडूसर' ,
  • संस्करण : प्रथम