बादल बरस्या जोर सूं, मनडै उठै उमंग।
झूलो झूलै राधक्या, कानूड़ा के संग॥
झर झर बरस्या बादळा, रमग्या धरणी मांय।
खेतां में अमरत पड्यो, करसा मन हरखाय॥
घणी जोर सूं बीजळी, चमकी बादळ बीच।
छप गी घर में गोरड़ी, दोन्यू आँख्या मीच।
चौमासा की झड़ लगी, पाणी छै च्यौमेर।
कूपळ फ़ूटी रूँख पै, होगी घेर घुमैर॥
अंधड़ आयो जोर सूं, पाणी मूसळधार।
पीव गया छै खेत पै, घबरावै छै नार॥
पाणी बरस्यो जोर सूं, उफण्या नद अर नाळ।
कादो होग्यो गेल में, मनख्या के उलझाळ॥
बूंदा धरती सूं मली, साता में छै जीव।
बाट निहाळे गोरड़ी, कद आवेगा पीव॥
काळी काळी बादळी, छा गी अम्बर मांय।
चल्यो बायरो जोर सूं, सूझै कौनी कांय॥
आला होग्या आँगणा, कठै न सूखी ठाम।
घर आँगण पाणी भर्यो, सूझै कौने काम॥
नंदी उफणी जोर सूं, पाणी बण ग्यो काळ।
बसत्यां आग्यी डूब में, लोगां कै जंजाळ॥
भर ग्या संदा डाबरा, पाणी छै चौमेर।
बादळ देखो उमड़र्या, बरसै जाणै फेर॥
घटा उठी छै जोर सूं, छा गी च्यारूँमैर।
बरसेगा जद बादळा, गरमी की न्है खैर॥
खेतां में पाणी भर्यो, फसलां छै गी डूब।
इंदरराजा ठैर ज्या, बरस्या द्यो है खूब॥
बादळ बरस्या जोर का, भरिया पोखर ताल।
आडा पड़ ग्या रूँखड़ा, पंछी छै बेहाल॥
पाणी बरस्यो जोर सूं, उफण्या नंदी नाल।
मारग होग्या रपसणा, लोग घणा बेहाल॥
सावण का झूला पड्या, मन में उठै हिलोळ।
राधा ढूंढें सांवरो, सखियाँ मन रमझोळ॥
ल्यो बरस्या जी बादळा, तन मन भीज्यो आज
इंदर जी किरपा करी, सुळझ्या संदा काज॥
झर झर बरस्या बादळा, रम ग्या धरणी मांय।
खेतां में अमरित पड्यो, करसा मन हरखाय॥
घणी जोर सूं बीजळी, चमक्यी बादळ बीच।
घर में छप गी गोरड़ी, डर सूं आँख्या मीच॥
बादळ बरस्या जोर सूं, तन मन उठै उमंग।
झूला झूले राधका, भायल्यां कै संग॥
चौमासा का झड़ लग्या, पाणी है चौमेर।
अमरत बरस्यो रुँख पै, होग्या घेर घुमैर!!
अंधड़ आयो जोर को, पाणी मूसळ धार।
घरहाळा खेतां गया, घबरावे छै नार॥
पाणी बरस्यो जोर सूं, उफण्या नंदी नाळ।
खाडा में पाणी भर् यो, मनख्या कै उळझाळ॥
बूंदा धरती पै पड़ी, साता में छै जीव।
बाट निहाळे गोरड़ी, कद आवेगा पीव॥
काळी काळी बादळी, छा गी अम्बर मांय।
होग्या काळा बादळ, सूझै कोनी कांय॥
चौमासा कै लागतां, बोयी मक्का ज्वार।
बाट जो रह्या खेत पै, कद होगी तैयार॥
पाणी का छांटा पड्या, बदी उमस चौमेर।
इन्दर राजा बरस ज्या, कद बरसेगो फेर॥
रूठ्या इन्दर देव अब, छाँटो पड्यो न एक।
मानसून क रूठ्यां सूं, सूख्या खेत अनेक॥
बादळ उमग्या जोर सूं, जीव घणो घबराय।
डूसा कै मारी मर् या, बेगा करो उपाय॥
ल्यो बरस्या जी बादळा, भर ग्या झीळ तळाव।
पोखर उछळै मीढ़का, पाणी चाली नाव॥
चौमासा का झड़ लग्या, चौवे घर अर ग्वाड़।
कोल्यू लाग्या सारबा, होयो जदै उघाड़॥
अम्बर छाया बादळा, चमकै बिजळी मांय।
दण अँधयारो हो गयो, मनख घणा घबराय॥
सावण का झूला पड्या, बोले पपया मोर।
कोयल कूंके बाग में, शोर मच्यो चौमेर॥
चमचम चमकै बीजळी, काळा बादळ मांय।
गरज्या बादळ ज्योर सूं, गोरी मन घबराय॥
सावण का छै सरड़का, संदा नै भरमाय।
पळ में पाणी बरसै छ, पळ में सूख्यो जाय॥
चमकी बीचां बादळी, करी बीजळी घात।
छप ग्यो सूरज ओट में, दण में होग्यी रात॥
छाया बादळ जोर का, ले ग्यी पौन उड़ाय।
इंदर राजा बरस ज्या, मनड़ौ क्यूं तरसाय॥
मानसून है रूठ ग्यो, जौवे संदा बाट।
बीज जळ्या धरणी फटी, करसा कै घबराट॥
भर ग्या संदा डाबरा, पाणी छै चौमेर।
बादळ देखो शुम र्या, रह रह बरसै फेर॥
पाणी में छप छप करे, देखो संदा बाळ।
नाव तराइ कागद की, घूमै नद अर खाळ॥
आला होग्या आंगणा, कठै न्ह सूख्यी ठाम।
घर आँगण पाणी भर्यो, कस्या करां अब काम॥
छाया बादळ जोर का, बागां नाचै मोर।
बाट न्हाळ री राधका, कठै छप्या चतचोर॥
खेतां में पाणी भर्यो, फसलां छै ग्यी डूब।
इन्दर राजा रैम करो, बरस्या द्यो छै खूब॥
नंदी आयी जोर सूं, पाणी बण ग्यो काळ।
बसत्यां आग्यी डूब में, लोगां कै जंजाळ॥
घटा उमड़ी छ जोर सूं, छा ग्यी च्यारूँमेर।
बरसेगा जद बादळा, गरमी भागै दूर॥