मीठा मतीरा होवता,

नै मीठा काचर बोर।

कीकर दिन काढता,

हिवड़ौ लेत हिलोर॥

कांई लेवां कातीसरौ,

निपज्यौ नहीं कोई धांन।

काळ पड़्यां रहसी कियां,

मिनखपणा रौ मांन॥

काती महीणौ काळ रौ,

तीसूं दिन तिरकाळ।

तौ दिवाळी रात में,

दिवटां री दिपमाळ॥

सीयाळै भूखा पसु,

तन में रह्यौ गाढ।

डिगता हालै डांगरा,

हाय निकळग्या हाड॥

स्रोत
  • पोथी : रेवतदान चारण री टाळवी कवितावां ,
  • सिरजक : रेवतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : सोहनदान चारण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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