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करता व्रणउ गुण कहूं
कान्होजी बारहठ
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करता
व्रणउ
गुण
कहूं,
दया
करौ
गुर
देव।
गुरु
प्रसादे
गम
हुई,
भगति
करण
रो
भेव॥
स्रोत
पोथी
: पोथो ग्रंथ ज्ञान
,
सिरजक
: कान्होजी बारहठ
,
संपादक
: कृष्णानंद आचार्य
,
प्रकाशक
: जांभाणी साहित्य अकादमी, पुरस्कार
,
संस्करण
: प्रथम
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गुरु