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अंजस सोशल मीडिया
जहाँ पड़दा तही पाप
संत पीपाजी
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जहाँ
पड़दा
तही
पाप,
बिण
पड़दौ
पापै
नही।
जहाँ
हरि
आपै
आप,
पीपा
तहाँ
पड़दौं
किसौ॥
स्रोत
पोथी
: राजर्षि संत पीपाजी
,
सिरजक
: संत पीपाजी
,
संपादक
: ललित शर्मा
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम