डोफाई सूं डूबगौ, खोटी संगत खूब।
डूबौ सो तो डूबगौ, कूक मती बेकूब॥
पढै गुणै नहिं पेखवै, च्यारुहिं वर्ण निचिन्त।
मारवाड़ री मूढता, मिटसी दोरी मिन्त॥
गुरु लोक गफ्फा चरै, धरै न राजा ध्यांन।
सो किण विध सूं सूधरै, दाखै ऊमरदांन॥
चौड़ै कर चाळौह, लूटै भाळौ लोक नै।
कद होसी काळौह, मुनस्यां वाळौ मुलक सूं॥
हिय ऊठत हूकांह, सूंकां मुनस्यां री सुणां।
किण आगे कूकांह, लूंका सुणै न लोक री॥
बोली रा बाड़ाह, रीत बिगाड़ा राज रा।
धोळै दिन धाड़ाह, मुनसी पाड़ै मुरधरा॥
गरथ लेत गोसेह, रात दिवस रोसे रयत।
मांय मांय मोसेह, मुनसी खोसे मुरधरा॥
पोहरै पधरावैह, स्यांन गमावै सहज में।
दावै बेदावैह, मुनसी खावै मुरधरा॥
सेजां धण सूतैह, ऊभा मूतै अधपती।
हूंतै अणहूं तैह, मुनसी चूंथै मुरधरा॥
सेजां धण सूतैह, ऊभा मूतै अधपती।
हूंतै अणहूंतैह, मुनसी चूंथै मुरधरा॥