हेत हिड़दै अब कठै, बोल्यां आवै झा'ळ।
बगत बण्यों बहरूपियों, झूठा प्रेम पंपाळ॥
बैरी संगी संग खड्यां, कुण करग्यौ गहरा घाव।
टैम करैला न्याय छेड़लौ, तु राख हिये नेठाव॥
हियै हेत जे पावणा, नितका जीमो खीर।
मन कुटळाई राखोलां, नहीं बटैले सीर॥
कालै कालै क्यूं कुकैं, काल' आवसी काळ।
काज कर्म आज करलै, बिरथा टैम मत टाळ॥
कान कुचरण्यां क्यूं करै, मत मारग खोदै खाळ।
दिन फिरेला वार करेला, ओ टेम करै नी टाळ॥