गूंगा भोगै गांव, स्याणा सिसकारा भरै।
नारायण ओ न्याव, चित में सालै चन्द्रसी॥
चालै भेडाचाल, मूरख कायर मिनखड़ा।
सूरां हंदी चाल, चलणी दोरी चन्द्रसी॥
काठा दिन आवै किता, मरद न मानै हार।
आण निभावै आप री, सिर धड़ सेती त्यार॥
खाणो पीणो सोवणो, आठूं पोर अराम।
गपसप जीवण गाळदे, इसड़ा नर के काम॥
मुड़दां ज्यूं रैवै मरद, करै न कोई काम।
तो बै क्युं ना जायले, चटकै मुड़दां धाम॥
भरियो मारूभोम में, दारू रो दरियाव।
चेतो भूल्यां चोगिरद, तिरै मारुवा राव॥
धोळी खोळी देख, मूरख तूं भूलै मती।
भीतर काळी रेख, देख चांद रै चन्द्रसी॥
काळै रंग नै काट, लोह टाळ लागै नहीं।
पीळो धोळो पाट, चट दागल ह्वै चन्द्रसी॥
करतब करले कोट, छिपै छिपायां सूं नहीं।
करता आगै खोट, चांद लूंकडी चन्द्रसी॥
कदे न होसी नाम, ठाणसजाऊ ह्वै कितो।
जग नै प्यारो काम, चाम न प्यारो चन्द्रसी॥