अब स्वार्थ री दोस्ती, अब मतलब रा दोस्त।

दीपक ले ढूंढ्या बहुत, मिल्या तब रा दोस्त।।

दुखी दोस्त का दरद सूं, होवै है कब दोस्त।

खुद रा कस्टां सूं लद्‌या, मिल ज्यावै अब दोस्त।।

अब जुग री बदली हवा, बदली जुग री चाल।

कृष्ण सुदामा दोस्त री, बस रै गया मिसाल।।

सिर्फ दिखावा दोस्ती, सिर्फ दिखावा प्यार।

लोग करै है आजकल, मतलब री मनवार।।

रस्मां, कसमां, वायदा, निभा लिया दस्तूर।

यारां का नजदीक घर, यारी रा घर दूर।।

सुलफो जिणरी दोस्ती, सुलफो जिणरो प्यार।

भोत मिलैला आपनै, ऐड़ा सुलफ्या यार।।

कीं पीणा रा दोस्त है, कीं खाणा रा दोस्त।

मयखाना तक साथ दे, मयखाना रा दोस्त।।

ऐसी वैसी दोस्ती, ऐसा वैसा दोस्त।

भुगत्यां व्हैला आप भी, कैसा कैसा दोस्त।।

कुछ का पेसा दोस्त है, कुछ का पैसा दोस्त।

सुलभ सुदामा नै कठै, गिरधर जैसा दोस्त।।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : कुंदन सिंह 'सजल' ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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