बाप कट्यो, मायड़ बळी, घर सूनो जाणीह
पूत अंगूठो चूंख नैं, राखै निगराणीह
पिउ किण विध पूजन करूं, तन-तन खग टीकोह
केसर रंग राचै नहीं, कूंकूं रंग फीकोह
सुरपुर तक निभ जावसी, या जोड़ी या प्रीत
सखी पीव रै देसड़ै, संग बळवा री रीत
सुत गोदी आवण चह्यो, मां जद बैठी आग
दाग न दे कुळ पूत बळ, बिण खायां सिर खाग
सुणियो पिउ बिण सिर लड़े, जा आऊं झट झांख
दोय घड़ी रै वासतै, पंछी दे दे पांख
हूं चाली झट आवज्यो, बू मत करज्यो देर
खूंटी पर कूंची पड़ी, कोठा में नारेळ