एक सु तत्तै संग्रहै, हूंता सेन बहुत।

थेटा-लग काढै परी, किय तुरकै ताबूत॥

स्रोत
  • पोथी : मुहता नैणसीं री ख्यात, भाग 2 ,
  • संपादक : जिनविजय मुनि ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम