डूँगर केरा वाहळा, ओछाँ-केरा नेह।
वहता वहइ उतावळा, छटक दिखावइ छेह॥
मालवणी कहती है -पहाड़ी नाले और ओछे (छोटे, निम्न स्तरीय ) पुरुषों का प्रेम दोनों एक समान होते है जो बहते समय तो बड़ी तेजी से बहते है पर तुरंत ही अंत दिखा देते हैं।