निरबै सोज्यै,ओझांगी मत, रात सपनै में आवुंला।

बच्यौ कोई ठोड़ ठिकाणो, और कठिनै जाऊंला॥

स्रोत
  • सिरजक : ओम बटाऊ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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