प्रस्नावलही जिणवर प्रति पूछि हळधर वातं

देवे वासी द्वारिका ते तु अतिहि विख्यात॥

त्रिहु खंड केरु राजीउ सुरनर सेवि जास।

सोइ नगरी नि कृष्णनु कीणी परि होसि नास॥

सीरी वाणी संभळी बोलि नेमि रसाल।

पूरव भवि अक्षर लिखा ते किम थाइ आल॥

स्रोत
  • पोथी : संत कवि यशोधर गुटका पोथी ,
  • सिरजक : संत कवि यशोधर ,
  • प्रकाशक : श्री दिगम्बर जैन मंदिर, नैणवा, बूंदी