गुड़ चीणी मीठी घणी, मीठो शहद शुद्ध।

सबने पाछै छोडतो, मीठो मायड़ दुग्ध।।

मा ने तो चरख्यो चला, पाळी सब सन्तान।

बेटां के मिल चालता, मा को दरद कान।।

ज्यां की मा छै जीवती, मिल्यो ईश वरदान।

मंदिर तीरथ क्यूं फिरै?, जद घर में भगवान।।

नो म्हीना रख पेट में, पाळै हरख‘र मोद।

सुरगां को सुख देवती, मा की प्यारी गोद।।

चुग्गो भर ला चूंच में, चिड़िया पाळै पूत।

पंख लग्यां उड़ जावैगा, ले आकाशां कूंत।।

दो बेटां के बीच मा, बदळ‘र पाळी रोज।

अब बेटां सूं न्ह उठै, दो रोटी को बोझ।।

ज्यो घर सूं बारै खडे, ले मा की आशीष।

सगळा तो कारज सरै, चाहे बाधा बीस।।

मा भूखी बिस्तर पड़ी , ले नहीं हार संभार।

नामित भण्डारा करै, अस्या पुत्र धिक्कार।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : जयसिंह आशावत
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