दीपक बुझै सो देखिले, ज्योति कवन घर जाइ।

यूं नारायण तन तजै, सब ही शून्य समाइ॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान का संत-साहित्य ,
  • सिरजक : नारायण दूधाधारी ,
  • संपादक : वसुमती शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। ,
  • संस्करण : द्वितीय