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बखत न थिर, नह थिर वपू
दलपत बारहठ
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बखत
न
थिर
नह
थिर
वपू,
रहण
नहीं
थिर
राज।
जासी
नहीं
जाता-जुगां,
(थारो)
धबो
कळंक
धीराज॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: दलपत बारहठ
,
संपादक
: जगमोहन सिंह परिहार
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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