धोरी धंणख चहोड़ियौ, करि पंखाळ सूं प्रीति।

मारयो भुंवर भंणंकतो, छूटि गई रस रीति॥

स्रोत
  • पोथी : मेहोजी कृत रामायण ,
  • सिरजक : मेहा गोदारा ,
  • संपादक : हीरालाल माहेश्वरी ,
  • प्रकाशक : सत् साहित्य प्रकाशन, कलकत्ता-700007 ,
  • संस्करण : प्रथम