देवादास मन मैल की ऐसी जाणूं रीति।

खैंच खांच उपजै नहीं पय पाणी ज्यूं प्रीति।

मेल हुआ मेला रहै, कहूं तोहि रे मन्न।

ज्यूं बंसलोचन अर नीर कौ देवा एक हि तन्न॥

स्रोत
  • पोथी : रामस्नेही संत स्वामी देवादास व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : स्वामी देवादास जी ,
  • संपादक : शैलेन्द्र स्वामी ,
  • प्रकाशक : जूना रामद्वारा चाँदपोल , जोधपुर-342001
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