चाव घणौ कर चेत, सांपड़तां थारै सुजळ।

सुर सरपाय समेत, ताप मिटै जीवां तणा॥

स्रोत
  • पोथी : गंगालहरी ,
  • सिरजक : बांकीदास आसिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.)