नव-नव उच्छव नवल सुख, सब जण नवल सिंगार।

नवल चित्रांमै धवळहर, पायौ नवल कुमार॥

स्रोत
  • पोथी : प्राचीन राजस्थानी काव्य ,
  • सिरजक : वीरभाण रतनू ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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