चामल जीवनदायनी, कळ कळ बेती जाय।

अमरित की धारा परस, जनम सफळ हो जाय॥

चामल माँ के तीर पै, घणा बणर्‌‌‌या घाट।

सबकी तस नै बुझार्‌‌‌यी, होर्‌‌‌‌ सबका ठाट॥

चामल माँ की गोद में, पळर्‌‌‌‌‌‌‌या जीव कमाल।

नांव गांव छै चंद्रेसल, घणा बसै घड़ियाल॥

चामल घणी विसाल छै, चोड़ौ इंको पाट।

उदबिलाव छै मौज में, वांका होर्‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌या ठाट॥

चामल माँ कै तीर पै, बसर्‌‌‌‌‌‌‌‌‌या कैसोराय।

दरसण वांका करता इ, जनम सफळ हो जाय॥

बिजळी पाणी खूब छै, चामल को परताप।

मोक्षदायिनी चामल छ, दूर करै संताप॥

चामल तीर बालाजी, देखो उमड़ी भीड़।

सरदा सूं दरसण करां, हरलै सबरी पीड़॥

स्रोत
  • पोथी : सबद निकाळो तोल ,
  • सिरजक : अनिता वर्मा ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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