लावा लेवे आंधियां, तपे तावड़ौ जोर।
बांवळ घेरे खेत ने, पग-पग ऊभा थोर॥
चिरमी, फूंदी, गैर रा, घणा सुहाणा रंग।
रळ-मळ रैवे मानखो, जाणे जीवण ढंग॥
खीच मायने घी घणो, साग मायने तेल।
मुळक परोसे बीनणी, हंस-हंस जीमै छैल॥
तारां आळी चूंदड़ी, चन्दो टीको सीस।
रात बीनणी आयगी, लेवण नै असीस॥
काजळ घुळती, आंखियां, मोती रळता दांत।
धरणी पे क्यां आयगी, छोड परी री पांत॥
पीळो फैंटो बांध नै, हाथां लैय गुलाल।
फागण ऊभो आंगणे, नाचे दे-दे ताल॥
हेत घणो है आपसी, मिसरी घुळता बोल।
मिनखपणो मूंगों अठे, रुपियां रो नीं मोल॥
घूमर घालै गौरङी, ढोलो गावै फाग।
गाज,बाजा है घणा, घणा सुरीला राग॥
होळी ओपे चंग सूं, ब्याव मायने ढोल।
जग सूं छानी कोयनी, मरुधर री रमझोळ॥