दिवस आज छै देवरो, रज पै धर पग राम।
चैत्रा नवमी सोवणी, रमै मन हरख राम॥
राजा दसरथ घर रमै, जिंण दाडै धर पाव।
चैत्रा नवमी राम री, घर सुख संताप आव॥
दसरथ आंगण दैखरै, सोवै भाई च्यार।
राम लखमन भरत रमै, संग शत्रुघन बढै प्यार॥
मन हरख हेत मोकळो, उमडै घणो छै आज।
राम नवमी छै आजरै, भावै भगवाराज॥
भगवा तन पै भागरो, अर हिन्दू सर ताज।
मन रमै घणो मोकळो, आंगण में सुख आज॥