आंखड़ल्यां रौ पाणी मरगौ, वाणी रौ सत्कार,

लोक-दिखावौ इस्यो बढ्यो, गमग्यो सदाचार॥

गीत प्रीत रा आंसू बणगा, दोखी बणगा यार।

पल में सारा रिस्ता रूळगा, देख्यो अैड़ो प्यार॥

अेक हाथ में प्रीत पकड़ ली, दूजै में तलवार।

चौड़ै-धाड़ै छांगण लाग्यो, खुद रौ ही आधार॥

मिनखांचारो धरत्यां बड़गो, बढग्यो पापाचार।

लाज-सरम सड़कां पै रूळगी, बणकै कारोबार॥

साफ-सुथरा गाबा पैरै, मन में भर्‌यो विकार।

मिनखपणै नैं सरमां मारै, सगलां पै धिक्कार॥

तारणहारा बणकै बैठ्या, ज़ुल्मां रा सिरदार।

जात-धर्म रा अफंड रचाता, माटी रा गद्दार॥

सच बोलणिया पागल बाजै, झूठां री भरमार।

पीसै आगै शीश झुकावै, अै मोबी मोट्यार॥

ऊंचा-ऊंचा म्हैल झुकाया, कर्‌यो पीठ पै वार।

नीच-पारधी बेचण चाल्या, बडकां रा संस्कार॥

बुलबुलिया टाबर कटज्या, मचज्या हाहाकार।

बेआबरू अबला हुयज्या, रोको अत्याचार॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2017 ,
  • सिरजक : कपिलदेव राज आर्य ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी ,
  • संस्करण : अङतीसवां
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