आवटियो एकोहटा, दे दुरहटा मेल्हांण।

सांभर आपो आपरा, गा सोवे रिण ढांण॥

स्रोत
  • पोथी : मुहता नैणसीं री ख्यात, भाग 2 ,
  • सिरजक : आसराव रतनू