इम राज करै अजनंद अयोध्या, नेत बँधी निखतैत।
जंगा जीत तपोबळ जालम, ओप बड़ैं अखड़ैत॥
नामैं सीस अनेक नरेसुर, रैत सुखी अणरेह।
चारुहि चक्क अदल्लां चालैं, तेज धरैं सिर तेह॥
ईत तणो नह भीत अगंजी, मान दुजा मन मेर।
आखेटा मजबूत अडाकी, जीत किया खळ ज़ेर॥
दीजै जोड़ किसो नृप दौलत, राज विभौ अवरेख।
सात सुखां भुगतैं दिन साजा, वासव हूत विशेख॥