वदै जनैता मो पूत अनै बैन कहै म्हारौ वीरौ,
धणी म्हारौ कहै त्रिया सांई कहै ढाल।
बांप कहै म्हारौ बेटौ कुटंब रा कहै बंधु,
म्हारौ चारौ कहै काळ थांरौ किसूं माल॥
भुवा कै भतीजौ म्हारौ भाई कहै म्हारौ भाई,
सुतां पोतां दादौ कहै दाई रा सराक।
मामौ कै भांणेज म्हारौ, म्हारौ प्रांण कहै मासी,
खैरुपा जम्म रा कहै मांहरी खुराक॥
साळौ कै बैनोई म्हारौ जमाई सा कहै सासू,
ओटामोटा मोटा सगा, सगा कै अनेक।
साह कै गराक म्हारौ सती कहै म्हारौ सत,
अंत दीहै अंत कहै म्हारौ कवौ अेक॥
ऊघाड़ां नै वस्त्र दीजौ भूखियां नै दीजौ अन्न,
कीजौ ओपौ आढ़ौ कहै सक्रत रौ कांम।
नहीं कोई थांरौ म्हारौ कूड़ी बाजी रची नरां,
नरां अेक थांरौ म्हारौ रांमजी रौ नांम॥
जन्मदात्री माँ कहती है मेरा पुत्र है यह,
बहिन कहती है- मेरा प्यारा भैया है यह,
अर्द्धांगिनी प्यार से पुकारती है- मेरा प्राणधन है यह,
स्वामी कहता है- मेरा रक्षक है यह,
पिता कहता है- मेरा प्यारा पुत्र है यह,
कुटुम्ब के परिजन कहते हैं- हमारा बंधु है यह,
परन्तु काल कहता है- अरे, यह जीव तो मेरा ही आहार है।
कैसे कहते हो कि तुम्हारा कुछ लगता है यह,
तुम्हारे ये सब रिश्ते-नाते झूठे हैं॥1॥
बुआ कहती है- मेरा भतीजा है यह,
सहोदर कहता है- मेरा भाई है यह,
पुत्र एवं पोते कहते हैं- हमारे पितामह हैं यह,
दायी कहती है- मेरा प्रिय एवं पोषित है यह,
मामा कहता है- मेरा भांजा है यह,
मौसी कहती है- मेरा प्रिया भांजा है यह,
लेकिन यमराज के दूत कहते हैं- यह जीव तो केवल हमारा ही आहार है॥2॥
साला कहता है- मेरा बहनोई है यह,
सास कहती है- मेरा जामाता है यह,
छोटे-मोटे सम्बन्धी कहते हैं- हमारा सगा रिश्तेदार है यह,
बाज़ार में दुकान पर बैठा साहूकार कहता है- मेरा ग्राहक है यह,
साध्वी पत्नी कहती है- मेरा सर्वस्व प्राणेश्वर है यह,
लेकिन प्राणान्त के समय मृत्यु कहती है- अरे, यह जीव तो मेरा एक कौर मात्र है॥3॥
ओपा आढ़ा कहता है- प्रियजनो, जिनके पास तन ढँकने को कपड़ा नहीं, उन्हें वस्त्र देना, जो भूखे हैं उन्हें अन्न देना। यही श्रेष्ट कर्तव्य है। इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है। यदि इस संसार में हमारा कोई है तो वह केवल राम का नाम॥4॥