नदियाँ पत तास सुता रो नायक, जिणनूं काठो झालै।

जळसुत मीत तासु-सुत जिणनूं, घात कदै नँह घालै॥

गिरतनया पत सिख ग्रभ गंजण, सुध निसबासर सेवै।

जादव पत राणी बंधव जिहिं, दंड कदै नह देवै॥

रावण भ्रात जेण रो राजा, रंग तिकणसूं रेलै।

छाया पुत्र सहोदर छाकै, छोह तापर छेलै॥

गोमता सुता तास सुत नागर, धीरज सुचितां ध्यावै।

प्रभु वैमुख जिणरो रिपु प्राणी, ताह कदै सतावै॥

स्रोत
  • पोथी : रघुनाथरूपक गीतांरो ,
  • सिरजक : मंसाराम सेवग ,
  • संपादक : चन्द्रदान चारण ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम