वैर वध्यो हिज बुरौ, अधिक उपद्रो व्है आगें।
वध्यो बुरौ वासदे, लाय जिण सेती लागें।
व्याधि वधि हिज बुरी, छिजैं देही जिण छिण छिण।
वाद बध्यो हिज बुरौ, खसा खेधौ व्हैं खिण खिण।
वधियो वुरो ज सगळौ विसन, धर्मसीख धरिजो धुरा।
करिज्यो विवेक ज्युं व्है कुसल, ववा पांच वधिया बुरा॥