टीटोड़ी निज टांग, सही ऊंची करी सौवें।

पड़तो आकास, दूनी नैं रखै दु खौवै।

थांभसि हुं विण थंभि, इसो मन गारब आण।

कूअति मो मैं किसी, जीउ में इतो जाणै।

मोहनी छाक परबसि मगन, संसारी जीव सहु।

ओछो कोइ मन आपरैं, किण किण नैं नहीं गरब कहु॥

स्रोत
  • पोथी : धर्मवर्द्धन ग्रंथावली ,
  • सिरजक : धर्मवर्द्धन ,
  • संपादक : अगरचंद नाहटा ,
  • प्रकाशक : सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम