उदित व्रह्म मधि ईस पछौ वप विसन प्रकास।
तम नासै जोवतां नांम कहतां अघ नासै।
अंतरीख मग उरस चंचळ सातहमुख चालै।
सुरंग पंग सारथी, हेक चकह रथ हालै।
अदभूत चरित्र किरणां अगमि, सीतळ जळ वरसै सयण।
कर जोड़ वयण दाखै सुकवि, नमौ नमौ रवि जगनयण॥