सगर वंस सारणी,रांम या भागीरथ्थी।
संहंस मुखी सुर सरी, कोटि महिमा श्रुति कथी।
पावंन ऊजळ प्रसेद, सीस राजति सिव संगा।
सत जोजन समरतां, गती दति परसी गंगा।
माधवदास महिमां अमंळ, जळ कंमंडळ ब्रह्माजीवी।
विस्वामित्र रघुपति वदति, जग प्रवित जहाणवी॥