रात दिवस इण रीत, प्रगट घडियाल पुकारै।
मिळियो मिनखा जलम, लाख चवरासी लारै।
खाली तिको न खोय, जोय वहतो जग जालम।
खडिया त्यांरी खबर, मिलै नँह किधी मालम।
चेत रे अजूँ मनड़ा चतुर, रट रट श्रीसीता रमण।
करुणा निधान सूं गहज कर, गमैं सहज आवागमणा॥