नमो साम सब सीस, राम रमतीत अजूंनी।

अखंड जोत परकार, वेद ऋषि गावै मूंनी।

आगम अगम अदृष्टि, दृष्टि आकार आवै।

अपरमपार अपार, पार कोऊ नहिं पावै।

लघु विरघा तरुणा नहीं, रंग रूप नहिं रेख है।

सेवगराम की वंदना, संत निभावन टेक है॥

स्रोत
  • पोथी : श्री सेवगराम जी महाराज की अनुभव वाणी ,
  • सिरजक : संत सेवगराम जी महाराज ,
  • संपादक : भगवद्दास शास्त्री, अभयराज परमहंस ,
  • प्रकाशक : फतहराम गुरु मूलाराम, अहमदाबाद ,
  • संस्करण : प्रथम
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