मन भवंग मंत्रा बसूं कटै बांबी तन्न।

देवादास इक राम बिन मिथ्या कोटि जतन्न।

देवा मन सिरखौ मूरख नहीं ताकौं बड़ो अज्ञान।

राम रसायण छोड़िकै करै करमां कौ धियान।

फूटा मनका फोकटी बैठा लच्छ गुमाय।

सूरता बकता समझ कै पड्या नरक में जाय॥

स्रोत
  • पोथी : रामस्नेही संत स्वामी देवादास व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : स्वामी देवादास जी ,
  • संपादक : शैलेन्द्र स्वामी ,
  • प्रकाशक : जूना रामद्वारा चाँदपोल , जोधपुर-342001
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