न्यात किसी मछगंध जास सुत व्यास कहाणां।
खत्र किसो कहि मेद जासु वांछै रायराणां।
रूप किसो कहि कांम जास संसार वखांणै।
भीच किसो इण इळा जिको जोधार आंणै।
वायस किसो कहि जोतिषि चिंत वांहण विरहण धरै।
उदैराज सदा गुण अरथीयै कहो वंस कासूं करै॥