नम्यां चढ़े गुण नेट, नम्यां विण गुण व्है निफळ।
तरवर नमै तिकोज, साखि फळ फूलैं सफळ।
नमतां वाधै नेह, नमै सो मोख नजीकी।
नमै सुजाणैं नीति, नम्यां सहु बातां नीकी।
तुरत हिज परखि धर्मसी, तुला धड़ी जणावै धुणि।
हळकौ तिकोज ओछो हुवै, गरुओ कहिजैं नमण गुण॥