मदन-मोदकर-बदन सदन बेताल-जाल-व्रत।

भक्त-भीत-भंजन अनेक जिन असुर-बंस-हृत।

चन्द्रहास कर चंड चंडमुंडादि-रुहिरमय।

अनलझालजुत झाल लाललोचन बिसाल जय।

जय जय अचिंत गुन-गन-अगम, आत्मसुख चैतन्यमय।

जय दुरतिहरण दुर्‌गा जननि, राजति नवरसरूपमय॥

स्रोत
  • पोथी : नेहतरंग ,
  • सिरजक : बुधसिंह हाङा ,
  • संपादक : श्री रामप्रसाद दाधीच ,
  • प्रकाशक : संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राजस्थान )
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