लिखत वात नह मिटै, जो समुद्र मरजादा मुकै।
लिखत वात नह मिटै, जो नीर वरसंत सर सुकै।
लिखत वात नह मिटै, जो अरक अथमण उगै।
लिखत वात नह मिटै, अगनि चकोर न चुगै।
करतार कलम वाही जिका, हर सुर नर मुनि एकठा।
उदैराज नि मिटै लिखत, जो इंद्र चंद्र व्है एकठा॥