काल कुठारा जग बनी, बचे गुप्ता जन चन्दण।
छिपे सिंह बन बीच, बड़े पशवादिक बंधण॥
छिपे पनंग मणी काज, नाज गुप्ता धर बावे।
समस्या पुरूषा सेन, सुन्दरी गर्भ दुरावे॥
गुप्त भजन गम्भीर सर, रत्ना रास बिरोलियों
जन सुखिया जन जोहरी, हर हीरा मन पोलिये॥