झालि सत ज्यूं पति रहै सत विण ब्रत न चालै।
संत कीयां सतोष रहै जगदीस विचाळै।
सत सिंघ एकलो निजर तळै सहस्त्र न आंणै।
जोय सत विक्रम लछि क्रम जाति न जांणै।
सत ग्रह सीस जगदे वदै सत नराँ टीको धरो।
उदैराज कहै सूरजमल एक सत अंगी करो॥